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खाने में जीरा क्यो जरूरी ?
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जीरा शुक्लजीरक - जिनाति भुक्तम परिणमयती, ज्यो वयोहानो । ( जो खाये हुये को शीघ्र पचाती है ।) यह सर्व प्रसिद्ध मसाले की वस्तु है । आसाम ओर बंगाल के सिवा प्रायः सब प्रान्तों में विशेष कर उत्तर भारत के कई प्रान्तों में इसकी खेती की जाती है। क्षुप जाती की वनस्पति की शाखा पतली । इसमे सुगंधित उड़नशील तथा हल्के पीले रंग का तेल 2 से 4 % पाया जाता है । इस oil में cumic aldehyde की मात्रा 52% तक होती है । गुण और प्रयोग यह पाचक, वातानुलोमक, वेदनाहर, उत्तेजक, एवम संग्राही । इसका प्रयोग वमन, अतिसार, आध्यमान,ज्वर मूत्रसंस्थान के रोगों में किया जाता है । ज्वर में पाचन सुधार कर भूख बढ़ाता है । प्रसूता को देने से दुग्ध की वृद्धि होती है । अतिसार होने पर दही के साथ दिया जाता है। इसके क्वाथ से स्नान करने से खुजली और तेल से चर्म रोगों में लाभ मिलता है।
धेर्य पूर्वक मस्से खत्म करे !
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धेर्य पूर्वक मस्से खत्म करे ! आज हम आपको आयुर्वेद का सबसे विश्वसनी ओषधि तेल को बनाना और उसके फायदे बताएगे | जिसका उपयोग सभी प्रकार के मस्सो में कर सकते है, एवम यह गुदा की वल्ली को नुकसान नहीं पहुचता | इस तेल को धेर्य रख कर ३ से ४ माह तक लगाने पर आपके मस्से पूरी तरह से समाप्त हो जाते है | इसे बनाने की विधि- कसीस, लांगली (कलिहारी ), कुठ, सोंठ, पीपल, सेंधानामक, मैनसिल, कनेर की छाल, चित्रकमूल, अडूसे के पत्ते, दंतीमूल, दंतिमुल, कडवी तोरई के बीज, सत्यानाशी, की जड़, हरताल सब को १-१ तोला जल में पीसकर लुगदी बनावे | फिर तिल तेल ६४ तोला, थूहर का दूध ८ तोला, आक का दूध ८ तोला और गो मूत्र २५६ तोले ले | सबको बड़ी कड़ाई में मिलाकर मन्दाग्नि पर पकाये, फिर तुरंत छान ले | शा.स. नोट - यदि आप हमारी संस्था से बना बनाया तेल चाहते हो तो mail करे | ayurvediccurecenter@gmail.com
त्रिफला गुग्गुल - आयुर्वेद का तोहफा
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त्रिफला गुग्गुल - आयुर्वेद का तोहफा त्रिफला जैसे विकृत मेद का लेखन, पाचन एवं क्लेद का नाश करने वाले द्रव्यों से निर्मित यह गुग्गुल मेदोवह स्त्रोतस के विकारो में श्रेष्ठ औषध है। त्रिफला उत्कृष्ट लेखन कार्य करता है। मेदोवह स्त्रोतस का सबसे महत्वपूर्ण विकार है, स्थौल्या (मोटापा ). त्रिफला गुग्गुल के प्रयोग से मेदधात्वग्निवर्धन, अपचित मेद एवं क्लेद का लेखन होता है।
नाड़ी विज्ञान ( नाडी परीक्षा)
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नाड़ी विज्ञान करस्यांगुष्ठमूले या धमनी जीवसाक्षीणी । तच्चेष्टया सुखं दुखं ज्ञेयं कायस्य पण्डितः ।। शा. पु । दोषानुसार नाड़ी गति दोषप्रकोप अंगुली गति 1 वातज तर्जनी - वक्र- सर्प के समान। 2 पितज मध्यमिका - चंचल - काक, मण्डूक। 3 कफज अनामीका - मंद- हंस या पारावत । 4 वातपितज तर्जनी- मध्यमिका - वक्रचंचल 5 वातकफज तर्जनी- अनामीका - वक्रमंद 6 पितकफज अनामीका- मध्यमिका- कभी मंद, कभी चंचल 7 त्रिदोषज तर्जनी-मध्यमिका-अनामीका- तीनो दोष समान
उर्जा को कम करने वाले खाने से सावधान रहे:
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उर्जा को कम करने वाले खाने से सावधान रहे: जैसे की उर्जा को बढाने के स्त्रोत होते है ठीक वैसे ही उर्जा को कम करने के भी स्त्रोत होते है जैसे की फास्ट फूड, डिब्बाबंद, जमे हुए, पैक, बचे हुए, या पुराने खाद्य पदार्थ जो की पचाने में मुश्किल होते हैं और इनमे पोषण संबंधी सामग्री बहुत कम होती है | यदि आप इन खाद्य पदार्थों में से कुछ खाते हैं, और खाने के बाद आपको भारी महसूस होता है, तो आपको क्या करना हैं - आधा गिलास पानी पीने के लिए ले, जिसमें ताजा नींबू रस (¼) निचोड़ा ले या पाचन की सहायता के लिए दीपन पाचन टेबलेट ले। यदि आपको लगता है की आपको ऊर्जा की जरूरत है तब अपको उर्जा वाले आहार भोजन में शामिल करना चाहिए, बजाये कृत्रिम बूस्टर पर भरोसा करने से क्योंकि इनसे हमेशा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।