कुष्मांड (खंड) अवलेह : रक्तपित्त, कांस, श्वास, उल्टी, प्यास व ज्वर, नाशक, मुंह, नाक, गुदा इन्द्रियों आदि से खून आने पर लाभकारी। नेत्रों को हितकारी, बल, वीर्यवर्धक एवं पौष्टिक। स्वर शुद्ध करता है। मात्रा 15 ग्राम सुबह-शाम चाटना चाहिए। च्यवनप्राश अवलेह (अष्टवर्गयुक्त) : सप्त धातुओं को बढ़ाकर शरीर का काया कल्प करने की प्रसिद्ध औषधि। फेफेड़े के विकार, पुराना श्वास, खांसी, शारीरिक क्षीणता, पुराना बुखार, खून की कमी, कैल्शियम की कमी, क्षय, रक्तपित्त, रक्त क्षय, मंदाग्नि, धातु क्षय आदि रोगों की प्रसिद्ध औषधि। इसमें स्वाभाविक रूप से विटामिन 'सी' पर्याप्त मात्रा में होता है। बल, वीर्यवर्धक है। मात्रा 10 से 25 ग्राम (2-4 चम्मच) दूध के साथ सुबह-शाम सोते समय