कृमि रोग (WORMS)
कृमि जो पर्वतों, वनो, ओषधियों तथा जल -प्रधान क्षेत्रों या जल में रहने वाले, जो शरीर में प्रवेश कर हमे कष्ट देते है ।
कृमियों से मूलतः तीन श्रेणी के रोग होते है
1 जठरांत्र तथा पोषणज विकार ( Gastrointestinal and nutritional disorder) - अतिसार , शोथ आदि
2 पाण्डु (Anaemia)
3 कुष्ठ (Leprosy and other dermatoses )
चिकित्सा:-
1 कृमिमुद्गर रस 5 ग्राम
शंख भस्म। 5 ग्राम
नवायस लौह 10 ग्राम
इन सब को मिक्स कर 20 पुड़िया बनाना 1-1 सुबह शाम शहद से
कृमियों से मूलतः तीन श्रेणी के रोग होते है
1 जठरांत्र तथा पोषणज विकार ( Gastrointestinal and nutritional disorder) - अतिसार , शोथ आदि
2 पाण्डु (Anaemia)
3 कुष्ठ (Leprosy and other dermatoses )
चिकित्सा:-
1 कृमिमुद्गर रस 5 ग्राम
शंख भस्म। 5 ग्राम
नवायस लौह 10 ग्राम
इन सब को मिक्स कर 20 पुड़िया बनाना 1-1 सुबह शाम शहद से
2 संजीवनी वटी 2-2 विड़गारिष्टा के साथ ।
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