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Showing posts from 2015
सफ़ेद पानी का बहना (Leucorrhea)
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श्वेत प्रदर (Leucorrhoea) श्वेत प्रदर को सामान्य बोलचाल भाषा में सफ़ेद पानी की शिकायत कहा जाता है । 1 कम उम्र की बालाओं को - vulvar Leucorrhea 2 तरुण उम्र में- vaginal Leucorrhea 3 गर्भवती स्त्रियों में- cervical Leucorrhea uterine Leucorrhea चिकित्सा :- 1 कुक्कुटाण्डत्वक भस्म 125 mg मलाई या दूध से 2 प्रदरान्तक लौह, मिश्री और घृत 1 ग्राम शहद 3 ग्राम 3 प्रदरान्तक रस 2-2 गोली आंवला स्वरस और शहद से। 4 पत्रांगासव 30 ml + 30 ml पानी भोजन के बाद । Ayurvedic cure center
कृमि रोग (WORMS)
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कृमि जो पर्वतों, वनो, ओषधियों तथा जल -प्रधान क्षेत्रों या जल में रहने वाले, जो शरीर में प्रवेश कर हमे कष्ट देते है । कृमियों से मूलतः तीन श्रेणी के रोग होते है 1 जठरांत्र तथा पोषणज विकार ( Gastrointestinal and nutritional disorder) - अतिसार , शोथ आदि 2 पाण्डु (Anaemia) 3 कुष्ठ (Leprosy and other dermatoses ) चिकित्सा :- 1 कृमिमुद्गर रस 5 ग्राम शंख भस्म। 5 ग्राम नवायस लौह 10 ग्राम इन सब को मिक्स कर 20 पुड़िया बनाना 1-1 सुबह शाम शहद से 2 संजीवनी वटी 2-2 विड़गारिष्टा के साथ ।
Psoriasis (सोरियासिस)
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Psoriasis is a Non infectious, inflammatory disease of the skin, it is well defined erythematous plaques with large, adherent, silvery scales. Excessive division of cell in the basal layers. आयुर्वेद के अनुसार यह वात कफ दोषो के कारण होता है । इसे क्षुद्र कुष्ठ कहते है। Treatment:- 1 अश्वकंचुकी रस त्रिफला क्वाथ से सुबह शाम 2 आरोग्यवर्धनि वटी 2-2 गोली दूध से सुबह शाम 3 पंचतिक्त घृत आधा चम्मच +मिश्री पाउडर + गो दूध कुनकुना पीये । 4 निम्ब तेल लगाने के लिए प्रयोग करे ।
प्राथमिक उपचार (primary treatment)
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1 अजवाइन :- अजवाइन को हल्का भून कर 2-3 ग्राम की मात्रा में कुनकुने पानी से या दूध से ले सर्दी, जुखाम और पेट के रोगों में लाभ मिलता है। 2 मेथी :- मेथी, हल्दी, सोंठ तीनो को बराबर मात्रा में पाउडर कर रख ले। 1-1 चम्मच सुबह शाम कुनकुने पानी या कुनकुने दूध से लेने पर जोड़ो का दर्द ,वात व्याधि और सूजन में आराम मिलता है। 3 इलायची:- मुंह में छाले होने पर इलायची पीस कर शहद के साथ छालो पर लगाना फायदेमंद होता है। 4 काली मीर्च:- अत्यधिक खाँसी की स्थिति में 1-2 काली मीर्च मुह में रख कर चूसने पर तुरन्त आराम मिलता है।
बार बार गैस बनती हैं ?
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आज हर कोई पेट की समस्या से पीड़ित है । हर बीमारी का कारण पेट से जुड़ा है । पेट अग्नि केंद्र है। जो भोजन का पाचन करता है । मस्तिष्क संचालक है, जो पुरे शरीर को सुचारू रूप से संवेदना आदान प्रदान का निर्वाह करता है । आज की भाग दौड वाली जिंदगी में अनियमित खानपान व दिनचर्या का अनिश्चित पेट की समस्या को उत्पन करता है,जो आज आम हो गया । पेट में गैस , कब्जियत और मुह के छाले ये सभी एक दूसरे से जुडी हुई समस्या है। कई बार ये इतनी गंभीर होती हे कि जान जोखिम में आ जाती है। आयुर्वेदिक चिकित्सा एवम् कुछ नियम - भोजन समय तय करे सुबह शाम का। - भोजन एक ही तरह का लगातार न ले । - खाने से पहले अदरक का टुकड़ा,सेंधा नमक को चबा कर खाये फिर भोजन शुरू करे । - भोजन को चबा चबा कर खाये ताकि लार पूरी तरह से भोजन में मिल जाये । - लवणभास्कर चूर्ण आधा चम्मच भोजन के 30 मि.पहले ले । ( हाइपरटेंशन रोगी इसे न ले ।) - हिंगांवष्टक चूर्ण 1 चम्मच भोजन के बाद ले । - भोजन में सलाद और हरी सब्जिया ले। - चाय ,मिर्च ,मसाले,भा...
Vitiligo and leucoderma (सफेद दाग)
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श्वित्र को आधुनिक भाषा में विटिलिगो कहते है । श्वित्र त्वचा के वर्णक (melanin pigment) के स्थानीय आभाव के कारण होता है । मूल कारण अज्ञात है परन्तु आघात, घाव के बाद या त्वचा में फफोले (जलने पर) पड़ जान के बाद जो स्थानीय त्वचा सफेद रंग की हो जाती है उसे लुकोडर्मा ( सफेद धाग ) कहते है । यह कुछ समय के बाद ठीक हो जाता है , यदि अन्दर की धातु में विकृति न हुई हो। चिकित्सा:- 1.स्वयंभू गुग्गूल 2-2 गोली सुबह शाम 2. चोपचिन्यादि चूर्ण 3 ग्राम (आधा चम्मच) सुबह शाम भोजन के पूर्व। 3 आरोग्यवर्धनी 3 गोली (300 mg)रात में । 4. सोमराजि तेल दाग पर लगाने के लिए ।
Hypertension(ब्लडप्रेशर) Diet plan
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ब्लडप्रेशर में आयुर्वेद आहार एवम् नियम 1.ज्यादा मात्रा में भोजन न ले, साथ ही गुरु (भारी) भोजन से भी परहेज करे । 2 फलों और सब्जियों का सेवन ज्यादा करना चाहिए। 3. भोजन में सोडियम की मात्रा कम होनी चाहिए। (नमक का सेवन कम करे) 4.बाहरी उत्पादों, चीनी, रिफाइन्ड खाद्य पदार्थों, तली-भुनी चीजों और जंक फूड से परहेज रखना चाहिए। 5.गेहूं का आटा, ज्वार, मूंग साबुत ,बाजरा तथा अंकुरित दालों का सेवन करे । 6. सब्जियों में लौकी, नींबू, तोरई, पुदीना, परवल, सहिजना, कद्दू, टिण्डा, करेला आदि का सेवन करना चाहिए। 7. मौसमी, अंगूर, अनार, पपीता, सेब, संतरा, अमरूद, अन्नानास आदि फल ले सकते हैं। 8. बिना मलाई का दूध, छाछ ,गाय का घी,गुड़, चीनी, शहद आदि सेवनीय है।
Dermatitis त्वचा रोग ।
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Dermatitis is inflammation of the skin. The type of dermatitis depending on areas of skin may become red and itchy. scales or blisters that ooze fluid. Treatment:- 1 गिलोय सत् या अमृता सत् 225 mg with honey 2 पंचतिक्त घृत 1/2-1/2चम्मच कुनकुने पानी से 3 निम्बादि क्वाथ 3 चम्मच और 3 चम्मच कुनकुने पानी से 4 गंधक रसायन 2 ग्राम और 2 ग्राम मिश्री पाउडर 40 पुड़िया बना कर 1-1सुबह शाम दूध से 5 मरिच्यादि तेल ...
शीघ्र पतन (Premature Ejaculation)
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Premature Ejaculation (शीघ्र पतन) Premature Ejaculation is a Sexual dysfunction aged below 40 years. Treatment :- 1 Virya Stabhan vati - वीर्य स्तंभन वटी। 1-3 tablets with honey then after drink milk ad. with sugar. 2 Shatsakar churna - षटसकार चूर्ण। 5gram at night only 8 days. 3 Virya Shodhan vati - वीर्य शोधन वटी ...
एकाग्रता और याददाश्त में कमी का उपाय । (Omega-3)
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Benefits of Omega-3 Fatty Acids Omega 3 के कार्य- 1 शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है । 2 ह्रदय और रक्त वहिंकाओ को सुरक्षित रखता है। 3 मस्तिष्क के लिए अत्यंत आवश्यक तत्व है । 4 शरीर की अनावश्यक वसा को निकल ह्रदय को स्वस्थ रखता है। 5 गठिया के दर्द को कम करता है। 6 यह सेक्स हॉर्मोन को बनाने में सहायक होता है। कमी से होने वाले रोग - सूखी चमड़ी, एकाग्रता और याददास्त में कमी ,उच्च रक्तचाप , एग्जिमा, सोरिएसिस। (Dry skinned, concentration and memory loss, high blood pressure, eczema, PSorisis.) प्राप्ति स्त्रोत- (Source) कद्दू के बीज,सन् बीज , सूर्य मुखी के बीज। (Pumpkin seeds, flax seeds, sunflower seeds.)
OVARIAN CYST (अंडाशय की गांठे / cyst )
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PCOD (polycystic Ovarian Disease) महिलाओं में सामान्य रूप से मिलता है। महिलाओं में sex hormones के असंतुलन के कारण अंडाशय ( ovary) में छोटी छोटी गाठ या cyst हो जाती है जिसके कारण महिलाओं के मासिक धर्म ( Menstrual Cycle ) और प्रजनन क्षमता ( fertility ) पर असर पड़ता है। समय पर चिकित्सा नहीं करने पर यह कैंसर ( cancer) का रूप ले लेती है। महिलाओ में अंडाशय में सामान्य से अधिक मात्रा में androgen hormones की निर्मित होने ovary में छोटी छोटी तरल पदार्थ युक्त cyst बन जाती है । लक्षण :- 1 अनियमित मासिक धर्म ( menstrual cycle) 2 चेहरे / शरीर पर अधिक बाल 3 मुंहासे (Acne) 4 पेटदर्द (Abdomen pain) 5 गर्भधारण में मुश्किलें आना 6 बार बार गर्भपात 7 मोटापा (Obesity) . In Ayurveda This condition is not explained as a single disease entity, but it can be considerd under the heading of yoni vyapat. Also pushpaghani rewati, mentioned by acharya kashyap bears some similarity with the symptoms of PCOs. Treatment:- 1 आरोग्यवर्धनी वटी (Arogyavrdhni vati) 2 कांचनार गुग्ग...
Natural treatments to reduce excess body fat
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1) Exercises aerobic extremely necessary measures are beneficial . Lazy lifestyle is obesity increases. So activism are important. 2 ) The use of alcohol and substances produced milk is prohibited 3 ) fruit and vegetable everyday use 750 gram . 4) avoiding more carbohydrates items, potato, and rice is more carbohydrates. The fat that increase. 5) Only the wheat flour instead of bread wheat, soybean, mixed with gram flour bread is more beneficial . 6) weight controlling body has special significance in yoga. Khapalbhati, Bstrika regular practice .. 7) Visit morning brisk half hour. Weight loss is the best way. 8) In the dining Include more fibre material. ...
शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम करने के कुदरती उपचार।
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१) चर्बी घटाने के लिये व्यायाम बेहद आवश्यक उपाय है।. एरोबिक कसरतें लाभप्रद होती हैं। आलसी जीवन शैली से मोटापा बढता है। अत: सक्रियता बहुत जरूरी है। २) शराब और दूध निर्मित पदार्थ का उपयोग वर्जित है । 3) रोज पोन किलो फ़ल और सब्जी का उपयोग करें। 4) ज्यादा कर्बोहायड्रेट वाली वस्तुओं का परहेज करें।शकर,आलू,और चावल में अधिक कार्बोहाईड्रेट होता है। ये चर्बी बढाते हैं। सावधानी बरतें। 5) केवल गेहूं के आटे की रोटी की बजाय गेहूं सोयाबीन,चने के मिश्रित आटे की रोटी ज्यादा फायदेमंद है। 6) शरीर के वजने को नियंत्रित करने में योगासन का विशेष महत्व है। कपालभाति,भस्त्रिका का नियमित अभ्यास करें।। 7) सुबह आधा घंटे तेज चाल से घूमने जाएं। वजन घटाने का सर्वोत्तम तरीका है। 8) भोजन मे ज्यादा रेशे वाले पदार्थ शामिल करें।
गेंहू के ज्वारे
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सेहत बनाते हैं गेहूँ के जवारे व्हीट ग्रास यानी गेहूँ के जवारे को आप जूस की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। जर्म को तेल के रूप में या फिर पावडर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका उपयोग सलाद के साथ भी किया जा सकता है। जब आप व्हीट ग्रास का जूस बनाएँ, तो ब्लैंडर को धीमा ही रखें, तेज स्पीड इसके प्राकृतिक घटकों को नष्ट कर सकती है। पाचन तंत्र ठीक रखने और त्वचा को चमकदार रखने के लिए कुछ ग्राम व्हीट ग्रास लेकर उन्हें अच्छी तरह से साफ करें। फिर धीरे-धीरे ब्लैंड करें। इसमें एक छोटा गिलास पानी डालें और ताजा ही पी लें। स्वास्थ्य और स्वाद के लिए थोड़ा-सा शहद भी डाल सकते हैं।व्हीट जर्म का तेल प्रसव के बाद के स्ट्रेच मार्क को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय माना जाता है। एक चम्मच व्हीट जर्म ऑइल को कैलेंड्यूला ऑइल के साथ मिलाकर प्रभावित हिस्से में हर दिन धीरे-धीरे मसाज करें।
आयुर्वेद रस-रसायन, वटी व गोलिया
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आयुर्वेद रस-रसायन, वटी व गोलियाँ अगस्ति सूतराज रस : संग्रहणी अतिसार, आमांश शूल व मंदाग्नि में। मात्रा 1 रत्ती प्रातः व सायं भुना जीरा, मठा या शहद में। अग्नि तुंडी वटी : मंदाग्नि, पेट फूलना व हाजमे के लिए तथा अजीर्ण के दस्त बंद करती है। मात्रा 1 से 3 रत्ती। अग्नि कुमार रस : अजीर्ण, मंदाग्नि एवं पेट दर्द आदि में। मात्रा 1 से 3 रत्ती। अजीर्ण कंटक रस : अजीर्ण व हैजे में। मात्रा 1 से 3 रत्ती तक प्याज व अदरक रस के साथ। अर्श कुठार रस : बवासीर व पद्धकोष्ठ में हल्का दस्तावर है। मात्रा 2 रत्ती शहद में। आनंद भैरव रस : सन्निपात ज्वर, अतिसार, जीर्ण ज्वर, सर्दी, जुकाम, खाँसी व आमवातादि रोगों में। मात्रा 1 से 2 गोली शहद व पान के रस में। आमवतारि रस : आमवात विकार के कारण शरीर के दर्द में लाभकारी। मात्रा 1 से 4 गोली गर्म पानी में अथवा दूध से। आरोग्यवर्द्धिनी वटी नं.1 : पाचक, दीपक, मेदनाशक, मलावरोध, जीर्ण ज्वर, रक्त विकार, शोथ व यकृत रोगों में लाभकारी। मात्रा 1 से 2 गोली रात्रि को ठंडे जल के साथ