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Showing posts from March, 2017

गेहूँ के जवारे का रस (Wheatgrass)

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सेहत बनाते हैं गेहूँ के जवारे  व्हीट ग्रास यानी गेहूँ के जवारे को आप जूस की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। जर्म को तेल के रूप में या फिर पावडर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका उपयोग सलाद के साथ भी किया जा सकता है। जब आप व्हीट ग्रास का जूस बनाएँ, तो ब्लैंडर को धीमा ही रखें, तेज स्पीड इसके प्राकृतिक घटकों को नष्ट कर सकती है। पाचन तंत्र ठीक रखने और त्वचा को चमकदार रखने के लिए कुछ ग्राम व्हीट ग्रास लेकर उन्हें अच्छी तरह से साफ करें। फिर धीरे-धीरे ब्लैंड करें। इसमें एक छोटा गिलास पानी डालें और ताजा ही पी लें। स्वास्थ्य और स्वाद के लिए थोड़ा-सा शहद भी डाल सकते हैं।व्हीट जर्म का तेल प्रसव के बाद के स्ट्रेच मार्क को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय माना जाता है। एक चम्मच व्हीट जर्म ऑइल को कैलेंड्यूला ऑइल के साथ मिलाकर प्रभावित हिस्से में हर दिन धीरे-धीरे मसाज करें।

सर्दी खाँसी जुकाम

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आयुर्वेद ग्रंथो में कास, सामान्य बोलचाल में खाँसी कहा जाता है । कारण:- जल्दी जल्दी खाने के कारण भोजन के कण या पिने के पदार्थ का आहार नली में न जा कर श्वास नली में चला जाना, रुक्ष पदार्थ का अधिक सेवन, मल, मूत्र छींक आदि के वेग को रोकना, खट्टी, कसैली वस्तु का अधिक सेवन, अधिक परिश्रम, अधिक मैथुन, ऋतू परिवर्तन,सर्दी का प्रभाव आदि। लक्षण  :- खाँसी से पूर्व मुँह में तथा कंठ में काँटे सी चुभन होती है, किसी वस्तु को निगलने पर दर्द। वातज कास होने पर- ह्रदय, कपाल, कंठ, सिर,छाती में दर्द, स्वर का फटा फटा निकलना, बिना कफ की खाँसी यदि कफ निकलता भी है तो बड़ी कठिनाई से| वातज कास को सुखी खाँसी भी कहा जाता है। पित्तज कास में - पिले रंग का,पित्त मिला हुआ, मुँह सुखा, कड़वा और चरपरा हो जाता है । प्यास अधिक लगती, तन्द्रा,निद्रा अधिक आती है गले या कंठ में जलन और हल्का बुखार लक्षण मिलते है । कफज कास में-अग्नि का मंद होना, अरुचि, वमन, जुकाम, मुँह स्वाद का मीठा,कंठ में खुजली का अनुभव, अत्यधिक खाँसने पर गाड़ा कफ निकलना । क्षयज कास में -(राज्य यक्ष्मा TB के लक्षण ) क्षतज कास किसी चोट या अधिक परिश्र

सियाटिका (Sciatica)

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Sciatica  is lower back and leg pain. It  is a medical condition characterized by pain  going down the leg from the  Lower back  . This pain may go down the back, outside, or front of the leg. Typically, symptoms are only on one side of the body. Certain causes, however, may result in pain on both sides. Lower back pain  is sometimes but not always present. Weakness or numbness may occur in various parts of the affected leg and foot . एड़ी तथा प्रत्येक पेरो की उंगलिओ की कण्डराये वात दोष से प्रकुपित होती है तथा टांगो के फैलाओ को रोक देती है इस रोग को गृधसि ( सियाटिका ) कहते है। सियाटिका नाडी नितम्ब से पैर तक जाती है तथा उसमे वातरक्त , मधुमेह , पसीने में ठंडी हवा लगाना, चोट, मोच, आदि कारण से पीड़ा नितम्ब से नीचे पैरो तक जाती है। चिकित्सा  :- 1. वात गजांकुश रस -1 गोली     पीपली चूर्ण         -100मिली ग्राम (चुटकी भर)     मंजिष्ठा क्वाथ     - 20 मि.ली.+ 20 मि.ली.                                     कुनकुने पानी के साथ। 2. महावात विधंसक रस -  65 मि.ली.     आम का मुरब्बा   

माइग्रेन दर्द (migraine Pain)

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"  A useful definition of migraine is a recurrent syndrome of headache,nausea,vomiting and other symptoms of neurological ." Ayurveda acharya charaka and other say that shoka and bhaya are specifically responsible for shirahshoola {Ch.su.17/17, Ha. 2nd part 1/10}.  आयुर्वेद में इसे अर्धावभेद कहा गया है।   माइग्रेन के लक्षण - मनुष्य के सिर  में अत्यधिक करके पीड़ा , सर फोड़ने की सी पीड़ा, सुई चुभने सी पीड़ा, भ्रम (चक्कर आना ), शूल इत्यादि लक्षण अकस्मात  ३ दिन, ५ दिन,  १० दिन, १५ दिन और एक माह में कभी भी आ जाते है।   चरक ने  रुक्ष ,अत्यधिक भोजन, ओस  और अधिक मैथुन, वेग धारण (मल,मूत्र काम,क्रोध), श्रम और व्यायाम आदि  के कारण वायु अकेला या दोषो को साथ ले कर इस रोग की उत्पत्ति करता है।   Treatment :-  1 Mahavatvidhvansak ras (महावतविध्वंसक रस ) - 1 tab. BD with honey. 2 Sutshekhar ras (सूतशेखर रस ) - 1 tab BD with milk and mishri (suger candy white).