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सदैव युवा रहेंगे आप। (All time Young)

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संपूर्ण शरीर का कायाकल्प  करे इस आयुर्वेदिक चूर्ण से, जो कि आपको देगा रोगों से लड़ने की क्षमता। छोटी आयु में  झड़े बालो को पुनः एवं  समय से पहले हो गए सफ़ेद बालों को काला करता है। इसके प्रयोग से ढीले दांत  मजबूत होते। हर समय चेहरे पर कांति रहती है। { The rejuvenation of the body to the Ayurvedic powder, which will give you the ability to fight disease. Sto od at an early and age and premature hair re-grown white hair is black. Its use of loose teeth strong. Every time there is a glow to the face.} ये चूर्ण पूजनीय आचार्य की द्वारा आजमाया और निस्वार्थ सेवा लिए प्रकाशित किया गया है । चूर्ण बनाने की विधि :- १ सूखा आवला चूर्ण १०० ग्राम २ काले तिल { साफ किये } १०० ग्राम ३ भृंगराज { भांगरा} चूर्ण १०० ग्राम ४ गोखरू चूर्ण १०० ग्राम इस सुब को बराबर मिला कर उसमें ४०० ग्राम पिसी हुई मिश्री मिला ले। उसके पश्च्यात उसमे १०० ग्राम शुद्ध गो घृत { घी } और २०० ग्राम शहद मिला कर कांच या चीनी के बर्तन में रख लें। एक एक चम्मच खाली पेट रोजाना प्रातः साय तीन माह प्रयोग करे।

धनिया के फायदे { CORIANDER BENEFITS }

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धनिया आयुर्वेद में लघु, स्निग्ध गुण, कषाय, तिक्त, मधुर रस, उष्ण वीर्य, मधुर विपाक है। Urinary system  improves करता है, और  heart and circulatory system को मद्दत करता है। Dhania is also well known for its anti diabetic, hyperlipidemia properties. it induces mental relaxation. धनिया के फायदे :- १- जोड़ो के दर्द में - {आमवात की शुरुवात में } सुखा धनिया भून कर पाउडर कर ले उसमे बराबर मात्रा में            मेथी पाउडर और अजवाइन मिला कर सुबह शाम ३ ग्राम की मात्रा में ले। २- अम्लपित्त या पेट में जलन हो या गले में जलन खट्टी डकारे आये तो दो भाग मिश्री पाउडर और एक भाग       धनिया पाउडर सुबह शाम ले।     सामान्य तौर  पर रोगों का मूल करण कब्जियत रहता हे यदि ऐसी स्थिति हो तो त्रिफला या इसबगोल की भूसी     का प्रयोग करे। ३- बच्चो की खाँसी  में भुने धनिये का पाउडर शहद से चटाये। ४- पसीने की दुर्गन्ध हो या मुँह की दुर्गन्ध हो सूखे धनिये के ४-५ दाने चूसने से लाभ मिलता है।

थोड़ी थोड़ी मात्रा में बार बार रुक रुक कर मूत्र आता है ? { Urine incontinence,मुत्रातीत }

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मुत्रातीत  जो व्यक्ति मूत्र के उत्पन्न हुए वेग को रोककर थोड़े समय बाद फिर से मूत्र त्याग करना चाहता है तब मूत्र प्रवाहित नहीं होता है और यदि वह जोर लगा कर मूत्र त्यागना चाहता है तो किसी प्रकार प्रवर्तित होता है, किन्तु इस प्रकार बार बार प्रवाहण करने से मंद वेदना सहित तथा थोड़ी थोड़ी मात्रा में बार बार रुक रुक कर मूत्र आता है।  च.सि.अ. अनुसार अधिक समय तक मूत्र को रोकने से मूत्रत्याग करने पर मूत्र जल्दी नहीं आता । यदि आता भी तो बहुत धीरे धीरे। इस अवस्था को मुत्रातीत कहते है।  आधुनिक दृष्टि से इस रोग को अपूर्ण मूत्रावरोध { Partial retention of urine or Incontinence of urine} कहते है।  चिकित्सा :- १ सामान्य वातहर एवम वातानुलोमन क्रिया।  २ मूत्रावरोध होने पर आवश्यकतानुसार उत्तरबस्ती, शल्यकर्म एवं शल्यहारण। ३ आहार में जल,लवण, प्रोटीन की मात्रा का नियंत्रण। ४ चंद्रप्रभावटी ४ वटी  प्रायःसाय।  ५ पुनर्वामण्डुर   ४० ग्राम      प्रवालपिष्टी     ८  ग्राम         अभ्रक भस्म    ८ ग्राम      मिला कर ४० पुड़िया बनाकर १-१  प्रातःसाय मधु से  ६ चन्दनबलालाक्षादि  तैल  से मालिश करे.

Tips for Piles (बवासीर में मस्से मोटे एवं श्वेतवर्ण है ?)

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कफ प्रधान बवासीर {अर्श } में मस्से मोटे एवं श्वेतवर्ण के होते है। उनमें पीड़ा अधिक होती हो, चिपचिपे {लसदार } झागदार  दस्त हो, एक बार शौच जाने पर पेट में भारीपन एवं गुड़गुड़ाहट और पुनः शौच जाने की शंका बनी रहती हो आदि लक्षणों में क्रव्याद रस को शुंठी चूर्ण और सैंधव नमक मिला मट्ठे के साथ सेवन कराने से बहुत लाभ होता है।  

त्रिफला चूर्ण है उत्तम रसायन एवं मृदु विरेचक ।

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त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि:-  हरड़ का छिलका, बहेड़े का छिलका, आँवला गुठली रहित - प्रत्येक 1-1 भाग लेकर सूक्ष्म चूर्ण करके सुरक्षित रखे । गुण एवं उपयोग:- यह चूर्ण उत्तम रसायन एवं मृदु विरेचक है । यह चूर्ण अग्नि प्रदीपक, कफ-पित्त और कुष्ठ नाशक है। इस चूर्ण का प्रयोग करने से बीसो प्रकार के प्रमेह रोग, मूत्र का अधिक आना, मूत्र में गंदलापन होना, शोथ, पांडुरोग और विषम ज्वर में उपयोगी है। विषम भाग शहद और घी के साथ सेवन करने से नेत्र रोग में अपूर्व लाभ होता है। शुद्ध गन्धक और शहद के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के रक्तविकार और चर्म रोग नष्ट होंते है। मात्रा और अनुपान :-  3 -8 माशा तक, रात को सोते समय गरम जल से या दूध के साथ अथवा विषम भाग घी और शहद के साथ ।

सरसों का चिकित्सीय प्रयोग । ( Yellow sarson)

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सरसों  ब्रास्सीका कांपेस्ट्रिस लिनिअस वेरा. सरसोंन प्रेंन ( Brassica campestris Linn. var. sarson prain ) सर्दियों में तिलहन की फसल के रूप में बड़े पैमाने पर सरसो की खेती की जाती है। संस्कृत में - सर्षप , अंग्रेजी में - Yellow sarson. गुण :- सरसों  के मुलायम ताजा पत्तों का साग चरपरा, मूत्र तथा मल को निकलनेवाला, भारी , पाक में खट्टा, जलन पैदा करनेवाला, गरम, तेज होता है।  सरसों के बीज बड़े गुणकारी है। ये पाचक, चरपरे, स्निग्ध तथा स्वाद उत्तेजक होते है। सरसों का तेल ठंडा, गरम, दर्दनाशक, विषाणुनाशक तथा कृमियों को नष्ट करनेवाला है। उपयोग :-  1 कोमल पत्तो की सब्जी तथा भजिया बनाई जाती है। 2 पंजाब में सरसो का साग और मक्का की रोटी जगत प्रसिद्ध है। 3 सरसो के दाने पीसकर अचार आदि में डाले जाते है। 4 सरसों का तेल सब्जी आदि छोंकने के साथ साथ प्रकाश के लिये दीपको में जलाया जाता है। 5 तेल निकालने के बाद बची खली पशुओं का पोस्टिक आहार है । औषधीय उपयोग :- आयुर्वेदिक चिकित्सा में सरसों के समस्त भाग एवं इसके तेल का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है । 1 शारीरिक स्फूर्ति - सरसो के तेल की मालिश

इन ठंडे मौसम में क्या क्या करे ?

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आयुर्वेद के अनुसार 6 ऋतु होती है- 1 बसंत  -  चैत्र तथा वैशाख मास 2 ग्रीष्म  -  ज्येष्ठ तथा आषाढ़ मास 3 वर्षा   -  श्रावण तथा भाद्रपद मास 4 शरद   - आश्विन तथा कार्तिक मास 5 हेमन्त -  मार्गशीर्ष तथा पौष मास 6 शिशिर - माघ तथा फाल्गुन मास वर्तमान समय हेमन्त और फिर शिशिर का आने वाला है, ऐसे में शरीर की अग्नि तीव्र रहती है । व्यायाम का अच्छा समय वैसे तो व्यायाम किसी भी मौसम में किया जा सकता है, किन्तु हेमन्त और शिशिर में पूर्ण बल शक्ति तक व्यायाम कर सकते है। हेमन्त ऋतु :-  इस ऋतु में कोहरा पड़ता है तथा दिशाए धूल तथा धुएँ से भरी हुई प्रतीत होती हैं। जलाशयों के पानी पर पपड़ी- सी जम जाती है । यह जठराग्निवर्धक तथा प्रत्येक पदार्थ के स्वाद में वृद्वि करती है । इसमें भोजन सरलता से पच जाता है। इस ऋतु में गेहूँ, चावल, तिल,दूध, मलाई, गुड़, चीनी, मिश्री, तैल, घृत, दही, मट्ठा, तोरई, खीरा आदि का सेवन हितकर रहता है । अपथ्य (जिनका प्रयोग नही करना चाहिए) सत्तू, कसेरू, उड़द, जौ, पुराना अन्न, भैंस का दूध, सिंघाड़ा तथा आलू का सेवन, बहुत कम भोजन एवं रुक्ष, कषाय, शीतल तथा वातकारक पदार्थो का सेवन अपथ्य है

दुबलापन (Thinness)

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कारण:-  अधिक उपवास, वमन, विरेचन, शोक तथा मल मूत्र के वेगो को रोकना, अति मैथुन, अल्प भोजन, चिंता तथा भय आदि शरीर की कृशता (दुबलेपन ) के कारण है। लक्षण :-  शारीरिक शक्तिहीनता में शरीर स्वाभाविक से अधिक पतला या कमजोर हो जाता है। अत्यधिक दुबले मनुष्य को अशक्ति के अतिरिक्त अनेक प्रकार के रोग भी अपना शिकार बना लेते है। चिकित्सा :-   1 पीले बादाम की गिरी, निशास्ता, कतीरा तथा चीनी इन्हें समभाग मिलाकर रख लें तथा इनमें से नित्य 1 तोला दूध के साथ सेवन करें तो कृशता दूर हो जाती है । 2 काली मिर्च 3 तोला, सोंठ 3 तोला, छोटी पीपल 6 तोला, तिल 12 तोला तथा अखरोट गिरी 15 तोला इन सब को पीस कर छान कर रख लें । फिर 1.5 सेर चीनी की चाशनी पकाकर उसमे उक्त दवाई का चूर्ण डालकर उतार लें। चाशनी के ठंडा हो जाने पर, उसमे 1 पाव शहद मिलाकर रख लें ।  4 माशा रोजाना सेवन करे ।

विरेचन चूर्ण से पेट रहे हमेशा दुरुस्त । ( Constipation )

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Constipation is a common problem in present time. It means either going to the toilet less often than usual to empty the bowels, or passing hard or painfully stools (feces). Constipation may be caused by not eating enough fiber, or not drinking enough fluids. आज कल पेट साफ न रहना, आम समस्या बनती जा रही है । खान पान में परहेज न रखना और पर्याप्त फाइबर युक्त भोजन  तथा तरल पदार्थो की कमी रखना, जिसकी वजह से शौच करते समय कठिनाई या मल का अवरोध । मल त्याग करते समय होने वाली कठिनाई ही कब्जियत कहलाती है। शौच करने के कुछ समय पश्चयात फिर से शौच या मल का वेग आना भी कब्जियत की निशानी है। इस समस्या को जड़ से खत्म करता है ये विरेचन चूर्ण। विरेचन चूर्ण बनाने की विधि :-  सनाय, गुलाब के फूल, हरड़, बहेड़ा, आँवला, सब 3-3 तोला, बादाम की गिरी तथा कुलफा के बीज 1-1 तोला और शुद्ध जमालगोटा 3 माशा इन्हें कूट पीस कर महीन चूर्ण करे। मात्रा :- 1-2 माशा चूर्ण, 3 माशा मिश्री में मिलाकर रात को सोते समय ले तथा ऊपर से गरम दूध या गरम पानी ले । यह चूर्ण नये और पुराने कब्जियत को खत्म कर आमाशय और आंतों को शुद्ध कर

अपने लिवर ( LIVER ) का रखे ख्याल।

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In over body the liver is an essential that has many function in the body, making proteins and blood clotting factors. Liver manufacturing cholesterol and triglycerides, glycogen synthesis and bile production. लिवर हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। लिवर कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लाइकोजन के रूप में जमा करके रखता है, और जरूरत होने पर तुरन्त ही इसे ग्लूकोज के रूप में स्त्रावित कर देता है। लिवर नुकसानदायक पदार्थो को निष्क्रिय कर देता है और प्रोटीन पैदा करता है जो हमें संक्रमण और रक्तस्त्राव से बचाता है। कारण :- उड़द, कुल्थी, सरसो का साग आदि विदाही तथा भैंस के दूध का दही आदि अभिष्यन्दी पदार्थ के सेवन से रक्त और कफ दूषित होकर लिवर ( जिगर ) को वृद्धि करते है। मीठे, चिकने पदार्थ का अधिक सेवन, दूषित स्थान में रहना, अधिक भोजन के बाद तेज सवारी तथा अधिक परिश्रम, अधिक व्यायाम आदि लिवर रोग के कारण होते है। लक्षण :- यकृत की वृद्धि होने अथवा सिकुड़ जाने पर उसमें दर्द होने लगता है, मल रुक जाता है अथवा थोड़ी मात्रा में कीचड़ जैसा निकालता है। पुरे शरीर या मुख्यतः आँखों का रंग पीला हो जाता है। जी

क्या आप पेट के कीड़ो ( Worm )से परेशान है ?

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Does your child or you have trouble with stomach worms ? In children and human krimi or worms is one of the most common and important aspect causing health problems. The common complaints :  low digestive  ( पाचन शक्ति की )    Abdominal problem ( पेट दर्द )  Nausea ( जी मचलाना )  Vomiting ( उल्टी )  Constipation ( कब्जियत )   Diarrhea ( दस्त )  Itching at anus or whole body itching ( गुदा या पुरे शरीर में खुजली )  White patches on the face ( चेहरे पर सफ़ेद दाग का होना )  Excessive dry skin ( त्वचा का शुष्क होना )  Weakness ( दुर्बलता )  Teeth biting ( दांतो का कटकटाना )  Bed wetting ( बिस्तर का गिला करना )  Boils over skin ( त्वचा पर फोड़े )  Headache ( सिर  दर्द )  Picking of Nose ( नाक का बहना ).  इन सारी  समस्या को चंद दिनों में ठीक करे।  यह है उपाय त्रिकटु, त्रिफला,निशोथ,इंद्र जौ, नीम की अंतर छाल, बच और खैरसार इन ११ औषधियों को समभाग ,मिला ले।  इनमे से २-२ तोले का क्वाथ कर गौ मूत्र अर्क के साथ दिन में २ बार पीजिए संपूर्ण जाती के कृमि नष्ट हो जाते है   छोटे क

अब बार बार पित्ती का उठना बंद करे। (Tips of Urticaria)

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Urticaria is a skin problem. A rash of round, red weals on the skin which itch intensely,caused by an allergic reaction, typically to specific foods etc. पित्ती Urticaria :- शरीर की त्वचा पर जलन या बिना जलन वाले, लाल उभार लिये , खुजली वाले चकत्ते होना पित्ती या अर्टिकेरिया कहलाता है। पित्ती के कारणों में दवा के साइड इफ़ेक्ट, एलर्जी, कीट-पतंगों का डंक, सूरज की तेज धूप, संक्रमित पानी, बहुत ठंडी हवा लगना आदि। जसद ( यशद )भस्म शीतपित्त नया  और पुराना रोग, दोनों पर ही दी जाती है । रोग चाहे जितना उग्र हो, या धातुओ में लीन हो गया हो, जसद भस्म के सेवन से थोड़े ही समय मे दूर हो जाता है । शीतपित्त पीड़ितों को चाहिए कि कच्चा दूध, अति गरम दूध - चाय तथा अधिक मिर्च का सेवन न करें।  साधारण गरम दूध और मर्यादित मात्रा में चाय और मिर्च मसाले ले।  मात्रा :- १ से २ रत्ती (१२५ TO 2250 मि ग्रा ) दिन में दो बार मक्खन - मिश्री से।  DOSE :- 125 MG TO 250 MG BD WITH BUTTER AND MISHRI.

क्या आप खाँस खाँस के परेशान है ? (Cough)

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क्या आप खाँस खाँस  के परेशान है, तो चंद्रामृत रस अपनाओ। चंद्रामृत रस पांचो प्रकार की खाँसी के लिये लाभदायक है।  जिस खाँसी में खून आता हो खाँसते खाँसते दाह, प्यास एवं मूर्छा आ जाती हो,उस हालात में इस दवा का अच्छा असर होता है। यदि जीर्ण ज्वर के साथ खाँसी हो और मंदाग्नि, कास आदि की भी शिकायत हो तो इस रसायन का प्रवाल चंद्रपुटी और तालिशादि चूर्ण में मिला शर्बत गुलबनप्सा के साथ अवश्य प्रयोग करे, इससे कफ नरम होकर आसानी से निकलने लगता है।  अनुपान भेद से सभी प्रकार के कास तथा श्वास रोग में यह उत्तम लाभकारी सुप्रसिद्ध औषध है। उपयोग विधि - १ गोली शहद में मिला कर चाट ले और ऊपर से बकरी दूध, गोजिव्हादि क्वाथ, द्राक्षारिष्ट पिये। यदि खाँसी में कफ के साथ रक्त आता हे तो १ गोली इस रस को, ५ रत्ती नागकेशर चूर्ण और ५ रत्ती खून खराबे के चूर्ण के साथ मिलाकर १ तोला लाल कमल स्वरस से साथ ले। शुष्क खाँसी में मिश्री चूर्ण या मुलेठी चूर्ण के साथ मिला कर देने से शीघ्र लाभ मिलता है।    

Dyspepsia (अम्लपित्त)

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Today’s life style is completely changed by all the means our diet pattern, life styles and behavioral pattern is changed and it is not suitable for our normal physiology of digestion of body. 25 – 30 % peoples are suffering from dyspepsia. These diseases are chronic in nature and affecting to adults mostly. Patients of gastritis often results into peptic ulcer.  Gastritis and non-ulcer dyspepsia have been correlated with Amlapitta.  Madhava Nidana has given a clinical definition of Amlapitta that presence of Avipaka(Indigestion), Klama (weakness without work), Utklesha (Nausea), Amlodgara (Acid eructation’s), Gaurava (heaviness), Hrit-Kantha- Daha (Heart burn) and Aruchi (Anorexia) should be termed as Amlapitta. (M. N. 51/2) Cause (Nidana):- आहार (Food) : The first and the foremost group of etiological factors of Amlapitta may be considered as the dietary factors. विहार (Habit Factors) : To keep the health undisturbed one is required to follow the healthy code of habit

चहरे के दाग को चंद दिनों में ठीक करें ।

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जिन औरतो के चेहरे पर दाग होते हैं, उनकी सुंदरता कुरूपता में बदल जाती हैं। इसलिये उनके रोग को दूर करना बहुत जरुरी हैं। नहीं तो उनकी चिंता अंदर ही अंदर एक रोग बन जायेगी इस रोग का उपचार बड़ा सरल है कोई भी इसे बड़े आराम से कर सकता हैं। उपाय:- पपीते के छोटे टुकड़े काटकर उन दागों पर हर रोज दिन में चार बार मलते रहें। एक माह में सारे दाग साफ हो जायेंगे और आप का रूप निखर आयेगा ।

चने का सेवन खून में कोलेस्ट्रॉल घटाता है ।

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रक्त में कोलेस्ट्रॉल के परिणाम में वृद्धि हृदय रोग को बढ़ाता हैं, वह चने के सेवन से दूर हो जाता है । अतः चने का सेवन हृदय रोगों में हितकारी सिद्ध होता हैं। काला चना खून में कोलेस्ट्रॉल को प्रभावी ढंग से घटाता है और दिल के दौरे पड़ने का खतरा कम करता है । Result in increased blood cholesterol increases heart disease, it is far from gram intake. So gram intake is proven to have beneficial cardiovascular diseases. Black gram effectively reduces cholesterol in the blood and reduces the risk of heart attacks is falling.

इस मौसम में सीताफल (Custard/Suger apple) खाना ना भूले ।

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शरीर की कमजोरी को  दूर करने के लिए सीताफल ( custard apple ) एक बेहतर विकल्प हो सकता है और साथ ही यह आपकी immunity ( रोगप्रतिरोधक क्षमता ) को भी बढाता है । औषधि की तरह काम करता है, आयुर्वेद के अनुसार शीताफल शरीर को शीतलता पहुंचाता है। यह फल पित्तशामक, तृषाशामक, उल्टी रोकने वाला, पौष्टिक, तृप्तिकर्ता, कफ एवं वीर्यवर्धक, मांस एवं रक्त वर्धक, बलवर्धक, वात दोष शामक और हृदय के लिए लाभदायी है। -  इस फल को खाने से दुर्बलता दूर होकर शारीरिक शक्ति बढ़ती है। - सीताफल खाने से शरीर की दुर्बलता, थकान दूर होकर मांस-पेशियां मजबूत होती है। - सीताफल एक मीठा फल है जिसमें कैलोरी काफी मात्रा में होती है। यह फल आसानी से पचने वाला होने समेत पाचक और अल्सर तथा एसिडटी में लाभकारी है। - सीताफल घबराहट दूर कर हार्टबीट को सही करता है। कमजोर हृदय या उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए इसका सेवन बहुत  ही लाभदायक है। Family: - Annonaceae Binomial name: - Annona squamosa Nutritional value per 100 g (3.5 oz) Energy - 393 kJ (94 kcal) Carbohydrates - 23.64 g Dietary fiber - 4.4 g Fat - 0.29 g Protein - 2.06

इस मलहम से करे मस्सो की छुट्टी सिर्फ 7 दिन में।

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  अर्शनाशक मलहम न.1 बनाने की विधि :- वर्की हरताल और सफ़ेद कत्था इन्हें 2-2 तोला लेकर खरल में घोटें । फिर 100 बार पानी धोया हुआ 8 तोला गो घृत मिलाकर मलहम बना ले । उपयोग:- इस मलहम को दिन में 2 बार मस्सो पर लगावे ।                        अर्शनाशक मलहम नं. 2 बनाने की विधि :- अफीम 3 माशा, आक का दूध 1 माशा, जायफल1 तोला तथा धुला हुआ गाय का घी 1 तोला सब को मिलाकर, खरल पीस/घोंट कर मलहम बनावें । उपयोग :- शौच के पश्चयात दिन में 2 से 3 बार मस्सो पर लेप को लगावे ।

चमेली के चमत्कारी प्रयोग ।(Jasmine)

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चमेली के लाभ तथा उपचार प्रयोग - Jasmine tree has the botanical synonym of Plumeria acuminata Ait. This plant is commonly known as  'Chameli' in Hindi. According to Ayurvedic practice many parts of the plant are considered medicinal . The root bark of Jasmine plant is reported to be a powerful purgative and antiherpetic and is sometimes used to treat venereal sores. The medicinal herb is used to treat tumours and rheumatic pains. The latex of the plant has rubifacient and purgative properties. The latex is considered as an ingredient of external applications used to relieve itches, rheumatism and gum problems. The Jasmine flowers are considered contraceptive. The leaves of Jasmine plant are used as a febrifuge. The leaves are used in the form of a paste and applied as a poultice to relieve indolent swellings and as a rubifacient for rheumatism. आयुर्वेदिक के अनुसार औषधीय माना जाता है। चमेली  के पौधे की छाल का काढ़ा एक उत्तेजक के रूप में माना जाता है। चमेली के पौधे

सायटिका का अचूक प्रयोग।

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लहसुन की 4 कलिया छीलकर एक कली के तीन- चार टुकड़े करके एक - एक केप्सूल की तरह रोजाना सुबह पानी के घूंट के साथ निगल ले । इसके साथ साथ भोजन में कच्चे लहसुन की चटनी नमक, मिर्च, हल्दी के साथ पीसकर नियमपूर्वक प्रतिदिन थोड़ी मात्रा में ले । यह प्रयोग एक से दो माह करे सायटिक रोग जड़ से ख़त्म हो जायेगा।

मेथी पाउडर है गुणों की खान ( Fenugreek )

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Bontanical name :- Trigonella foenum greacum linn. In Hindi it is known as methi (मेथी  ) and the Sanskrit name is methika (  मेथिका  ).  Trigonella foenum leaves ( पत्ते ) and the seeds ( बीज ) are known for their medicinal value. Many countries like Greece, Egypt, Rome and Italy fenugreek ( मेथी ) is given a special place in the traditional medical system.  Internal use :- Methi (Fenugreek) effectively in painful menstruation ( मासिकधर्म के समय दर्द ), in improving in lactation nursing mother (स्तनपान कराने वाली ) and relieves poor digestion(कमजोर पाचनतंत्र), gastric inflammation or digestive disorders. Men related problems like painful testicles, premature ejaculation or loss of libido are relieved with the help of Methi (fenugreek). Fenugreek (Methi) is mostly used for weight reduction   ( वजन को कम करने में मदद्दत करता है ).  In Ayurveda:- it is used as an aphrodisiac, for rejuvenation, bronchial and digestive complaints, arthritis and gout.    Effect on

CANCER ( कैंसर )

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An abnormal mass of tissue the growth of which exceeds and is uncoordinated with that of the normal tissues and persists in the same excessive manner after the cessation of the stimuli which evoked the change. NEOPLASM  1-Benign - They are circumscribed and localized and do not transform into            cancer      2-Malignant -  Malignant neoplasms are commonly called cancer .    CAUSES AND RISK FACTORS Genetic - Some types of cancer are genetically predisposed, such as breast cancer and certain types of colon and skin cancer. Individuals with Down syndrome have a greater risk of developing acute leukemia. Smoking- Tobacco is one of the main causes of cancer. It can bring about head, neck, lung, mouth, larynx and bladder cancer. Ultraviolet -Prolonged exposure to the sun and excessive sun burning and tanning increase the risk of skin cancer. X-ray beams -Prolonged exposure to X-rays can result in cancer of the blood cells or acute leukemia. Excessive se

क्या आप नींद में बड़बड़ाते है । (Somniloquy)

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सोते हुए बोलने वाले ज़्यादातर इंसान आम तौर पर वह ऊट-पटांग चीज़ें ही बोलते हैं. Sleep talking की इस बीमारी का नाम है ‘Somniloquy’. Stages of sleep:-  1- एक वो अवस्था होती है, जिसमें हम सपना (Dream) देखते है,अंग्रेजी में नींद के इस फेज़ को Rapid Eye Movement (REM) Sleep कहते हैं. इस अवस्था में आम तौर पर हमारा मुंह और Vocal Chord निष्क्रिय होते हैं. लेकिन जब हम सपने में थोड़े उत्तेजित होते हैं, तो कोई शब्द या वाक्य बोल पड़ते हैं. इस अवस्था में जब हम बोलते हैं तो हमारी आवाज़ काफी ऊंची निकलती है. 2- नींद की दूसरी अवस्था है Non-Rapid Eye Movement. ये वह स्टेज है जब हम पूरी तरह से गहरी नींद में नहीं होते बल्कि आधी-अधूरी नींद में होते हैं. इस अवस्था में हम ज़्यादातर ऊट-पटांग चीज़ें बोलते हैं.इंसान की नींद जब पूरी गहरी नहीं होती, वह सिर्फ तभी नींद में बोलता है. खराटे लेने वाले और सोते वक़्त दातों को खुरचने वाले लोग शायद ही कभी नींद में बोलते हैं.  लगातार काफी दिनों तक नींद में बोलने की बीमारी से जूझ रहे युवा वास्तव में Stress यानि तनाव में होते हैं. अगर आप भी सोते हुए काफी दिनों से लम्बे-लम्बे व

बाल उगाने के प्राक्रतिक तरीके ।

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बालों की समस्या से तो हर कोई परेशान है सभी के झड़ते बाल को कैसे रोकें यही सब सोंचते रहते है। लेकिन क्या आप भी अपने झड़ते बाल या फिर गंजेपन को लेकर परेशान है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार गंजा होने से और जब यह चिकनाहट सर पर आ जाती है तो ऐसे में दोबारा बालों का आना बहुत ही मुश्किल हो जाता है और न जाने कितने प्रकार के इलाज के बावजूद भी इस परेशानी से छुटकारा नही मिल पाता लेकिन क्या आप जानते हैं गंजेपन का इलाज आप प्राकृतिक तरीके से पा सकते हैं तो चलिए देखते हैं इसके इलाज के बारे में- सिर में जिस जगह पर आपके बाल नहीं उगते उस जगह पर अगर आप प्याज के रस का को लगाते हुए रगड़ते हैं तो उस जगह पर बाल आने लगते है और ताजे रस का ही उपयोग करें। इसके लिए आप धनिया का पेस्ट या फिर धनिया की पत्ती का रस निकालकर उसे अपने गंजेपन वाली जगह पर रोजाना लगाएं इससे भी आपको फायदा होगा। सिर में जिस जगह पर बाल नहीं आते उस जगह पर अगर आप कड़ी पत्ती का पेस्ट बनाकर लगाते हैं तो ऐसे में भी आप गंजेपन से छुटकारा पा सकते हैं। इसके साथ ही अगर आप मेथी के दानो का पाउडर बनाकर उसको सिर पर लगाने से गंजेपन को दूर किया

Effective treatment of paralysis (लकवा)

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Peel the garlic, crush four buds. And the dry ginger, peppal, black pepper, cumin, asafetida (hing) These five equal quantity by filtering code designed well mix powder 2 grams. Morning to evening sauce consumed regularly. The effect of general paralysis is over seven to eight days लहसुन की चार कलिया को छिल कर पीस ले। और उसमें सोंठ,पीपल,कालीमिर्च,जीरा,हींग इन पांचों को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह कूट छान कर बनाया चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में मिला ले। सुबह शाम चटनी नियमित रूप से सेवन करे। साधारण लकवे का असर सात आठ दिन में खत्म हो जाता है नोट:- Powder available in center. पाउडर आयुर्वेदिक क्योर सेंटर पर उपलब्ध है, आप अपने पते पर मंगवाने के लिए संपर्क करे । संपर्क सूत्र :-  mail - ayurvediccurecenter@gmail.com  whatsapp no./ Call  - +91 9425716310  Leave massage on the blog.

ब्यूटी फेस पेक

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धुप से हुई सावली त्वचा में फिर से निखार लाने के लिए नारियल का पानी, कच्चा दूध,  खीरे का रस और निम्बू का रस, बेसन और थोडा-सा चन्दन का पावडर मिलाकर उबटन बना ले । हफ्ते में दो बार करे नहाने से 1 घंटे पहले लगा ले । साँवलापन खत्म होगा, त्वचा स्निग्थ होकर उजली होने लगेगी । यदि चहरे पर चेचक या बड़ी माता छोटी माता या बड़ी फुंसियों के दाग़ रह गए हो तो 2 पिसे हुए बादाम और 1 चमच्च दूध और 1 चमच्च सूखे संतरे के छिलके का पावडर मिलाकर आहिस्था आहिस्था चेहरे पर मेल और कुछ देर तक रखे । शहद में कुछ मात्र में केसर डाल कर मिलाये इस लेप को आखो के निचे काले घेरे पर लगाये । अरंडी का तेल आँखों के काले घेरे के आसपास लगाने से काले घेरे दूर होते है 

रोजाना हँसने के फायदे

आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में और काम के प्रेशर के साथ कई लोगो को याद भी नही होगा की वो आखिरी बार कब खुल कर हंसे थे। जबकि हंसना हम सब के लिए भुत ही लाभदयाक और आवयशक भी है । दोस्तों हँसने से हमारा स्वास्थ और जिंदगी किस तरह से खुशनुमा हो सकती है उसी के बारे में हम आपको बताने जा रहे है । हंसने के फायदे है : 1. हँसने से ह्रदय (Heart) की एक्ससाज हो जाती है । जिससे हमारे शरीर में रक्त का संचार अच्छी तरह से होता है । और हसने से हार्ट-अटेक की संभावना भी कम हो जाती है । 2. एक शोध से पता चला है की आक्सिजन की उपस्थिति में केंशर कोशिका और कई प्रकार के हानिकारक बेक्टीरिया और वायरस नष्ट हो जाते है । 3. यदि सुबह सुबह हास्य ध्यान किया जाये तो दिन भर काम में मन लगा रहता है । और यदि रात में इसे कर के सोने पर नींद अच्छी आती है । हँसने से हमारे शरीर में कई प्रकार के हार्मोन्स का स्त्राव होता है । जिससे मदुमेह, पीठ दर्द और तनाव से पीड़ित व्यक्ति को लाभ मिलता है । 4. रोजना  1 घण्टा हंसने से 400 केलोरी ऊर्जा की खपत होती है । इससे मोटापा भी कम होता है ।

Eczema ( खुजली )

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Eczema     The eczema is a specific type of allergic cutaneous manifestation of antigen- antibody reaction, w hich is with vesicle formation and itching. COMMON PREDISPOSING FACTORS OF ECZEMA : 1. Age- Infancy, puberty, menopause. 2. Familial predisposition Familial                             sensitiveness is an important factor.      Personal or family history  of allergy is found. 3. Allergy Like Asthma, hay fever etc. 4. Climate Extreme of climate like heat,                   dampness, or severe cold trigger the onset.       of eczema.          5. Psychological factors These are most                  important factors in reaction of hyper                  sensitivity. 6. Local factors Xeroderma, ichthyosis, greasy       skin, hyperhydrosis, varicose veins causing         congestion and focus of lowered resistance,     hypostasis, chilblains, Dry winter cracked           skin   also predispose to eczema                           development   EXCITING FA

Hair fall (बाल झड़ रहे है, सिर्फ 10 दिन में बंद करे झड़ना ।)

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आज की लाइफ स्टाइल ऐसी है कि हर किसी को बालों की समस्या से जूझना पड़ रहा है। इसमें तेजी से झड़ते बालों की समस्या बेहद अहम है। जवानी में ही लोगों के सिर बाल गायब हो रहे हैं...। सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि एक बार बाल झडऩे के बाद दोबारा आते नहीं...। लेकिन आयुर्वेद में इसका अचूक इलाज है। यू कहें कि सौ प्रतिशत कारगर है ये उपाय...। इस उपाय के करने से न सिर्फ 10 दिन के भीतर बाल झडऩे बंद हो जाते हैं, बल्कि 30 दिन के भीतर नए बाल आने भी शुरू हो जाते हैं। यदि आपको बाल झडऩे और नए बाल नहीं आने की समस्या है, तो इस उपाय को जरूर अपनाएं। इसके लिए क्या करना है, इसे बारे में हम आपको बता रहे हैं। दरअसल, इसके लिए आपको एक तेल बनाना है और उसे कैसे बनाना है तथा तेल का प्रयोग कैसे करना है, इसके बारे में ध्यान से पढ़ें और जो बातें कही गई हैं, उन्हें अमल में लाएं, तभी इस उपाय का सौ प्रतिशत लाभ मिलेगा। बनाने की विधि...कनेर के 60-70 ग्राम पत्ते (लाल या पीली दोनों में से कोई भी या दोनों ही एक साथ, ध्यान रहे कनेर के वृक्ष में एक पीला फूल फूलता है और दूसरा हल्का गुलाबी, लेकिन पेड़ एक जैसा होता है और पत्ते भ

Health tilps for cancer

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1 चाय कभी भी प्लास्टिक के कप में न ले । 2 कोई भी गर्म चीज प्लास्टिक बर्तन में न ले खासकर पकाया    हुआ भोजन । 3 भोजन या खाने की चीजों को माइक्रोवेव  में प्लास्टिक बर्तन    में गर्म न करे। Note - प्लास्टिक गर्मी के संपर्क में आता है तो ऐसा रसायन उत्पन्न करता है जो 32 प्रकार के कैंसर उत्पन्न करता है । 1 Never take tea in plastic cups. 2 Do not take any hot thing, especially              cooked food in plastic pots. 3 Do not heat food in the microwave Note - plastic comes in contact with heat, which causes chemical generates 32 types of cancer.

Psoriasis ( सोरयासिस )

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PSORIASIS Psoriasis is a papulosquamous disorder of the skin, characterized by sharply defined erythematosquamous lesions. They vary in size from pinpoint to large plaques. At times, it may manifest as localized or generalized pustular eruption. Causes- While scientists still do not fully know what causes psoriasis. Immune Mediated - This means the condition is caused by faulty signals in the body’s immune system. It is believed that psoriasis develops when the immune system tells the body to over-react and accelerate the growth of skin cells Genes - These genes determine how a person‟s immune system reacts. These genes can cause psoriasis or another immune-mediated condition. Family History - Some people who have a family history of psoriasis never develop this condition. When both parents have psoriasis, the child may have a 50% chance of developing psoriasis EKAKUSHTHA (PSORIASIS) KUSHTHA includes wide spectrum of skin diseases. Ekkushtha is one among the

Piles (पाइल्स,बवासीर)

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ARSHA  (HAEMORRHOIDS) Haemorrhoids are blood-filled swellings caused by dilated varicose veins. Dilatation of the veins of the internal rectal plexus constitutes the condition of the internal haemorrhoids, which are covered by mucous membrane. The dilatation of the veins commonly occurs due to any straining at stool chronic constipation etc The position indicated as by the face of a clock at 3, 7 & 11 o‟clock position. Causative factors is          1  Dietetic factors - Incompatable diet,excessive or less intake.  2  Local irritation factors - Defective sitting, vehicle riding.  3 .Gentic factor -                                       4  Hereditary- Some defects in the venous structure have been held responsible.  5 Constipation.  6  Prolonged Standing-  7  Obesity- Obesity can be a factor by increasing rectal vein pressure.                                    8  Anatomical Factors: Secondary                     I. Portal Obstruction                

पेट दर्द ।

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1. अदरक और लहसुन को बराबर की मात्र में पीसकर एक चम्मच की मात्र में पानी के साथ सेवन करने से पेट दर्द में लाभ मिलाता है | 2. एक ग्राम काला नमक और दो ग्राम अजवायन गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट दर्द में लाभ मिलता है | 3. अमरबेल के बीजो को  पानी से पीसकर बनाय गये लेप को पेट पर लगाकर कपडे से बांधने से गेस की तकलीफ, डकारे आना, अपानवायु निकलना, पेट दर्द और मरोड़ जैसे कष्ट दूर हो जाते है | 4. सोठ, हिंग और कालीमिर्च का चूर्ण बराबर की मात्र में मिलाकर एक चम्मच की मात्र में गर्म पानी के साथ लेने से पेट दर्द में तुरंत आराम मिलता है 5. जटामांसी, शोंथ, आंवला और काला नमक बराबर मात्र में पिस ले और एक चम्मच चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट में दर्द में आराम पहुचता है। 6. जायफल का एक चोथाई चम्मच चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करने से भी पेट में दर्द मे आराम पहुचता है 7. पत्थरचट्टा के दो पत्तो पर हल्का नमक लगाकर या पत्तो के अक चम्मच रस में सोंठ का चूर्ण मिलाकर खिलाने से पेट दर्द से राहत मिलती है 8. सफ़ेद मुसली और दालचीनी को सम्भाग में मिलाकर पिस लें एक चम्मच की मात्र में पानी के साथ सेवेन कर