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Showing posts from June, 2015

Hyperacidity (एसिडिटी)

आयुर्वेद अनुसार विदग्ध पित्त की वृद्घि अम्लपित्त है । पित्त वस्तुतः ताप या संताप जनक पदार्थ का नाम है। अम्लपित्त को लाक्षणिक दृष्टी से देखा जाये तो हाइपर एसिडिटी से सम्बंधित  है। सामान्य लक्षण :- 1- Indigestion 2- Nausea (जी मचलाना ) 3- Anorexia (अरुचि) 4- Heart burn 5- अम्लोंउद्दगार 6- शरीर में भारीपन 7- बिना परिश्रम के थकावट होना | चिकित्सा :- 1-जटामांसी चूर्ण   2 ग्राम    माक्षीक भस्म    125 मि. ग्राम    प्रवाल भस्म       125 मि. ग्राम    सूतशेखर रस     250 मि. ग्राम                      दिन में तीन बार आमलकावलेह से 2- नारिकेल खण्ड 10 ग्राम गो दुग्ध से सुबह शाम पथ्या :- गेहूं,जौ,चने का सत्तू , मटर,करेला,परवल,हरी सब्जी आदि । अपथ्या:- गुरु (भारी) भोजन,तिल,उड़द,तीक्ष्ण पदार्थ,मसाले,तेल,आलू,बेंगन,भात आदि ।

Psoriasis (सोरियासिस)

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Psoriasis is a Non infectious, inflammatory disease of the skin, it is well defined erythematous plaques with large, adherent, silvery scales. Excessive division of cell in the basal layers. आयुर्वेद के अनुसार यह वात कफ दोषो के कारण होता है । इसे क्षुद्र कुष्ठ कहते है। Treatment:- 1 अश्वकंचुकी रस त्रिफला क्वाथ से सुबह शाम 2 आरोग्यवर्धनि वटी 2-2 गोली दूध से सुबह शाम 3 पंचतिक्त घृत आधा चम्मच +मिश्री पाउडर + गो दूध कुनकुना पीये । 4 निम्ब तेल लगाने के लिए प्रयोग करे ।

प्राथमिक उपचार (primary treatment)

1 अजवाइन :-  अजवाइन को हल्का भून कर 2-3 ग्राम की मात्रा में कुनकुने पानी से या दूध से ले सर्दी, जुखाम और पेट के रोगों में लाभ मिलता है। 2 मेथी :-   मेथी, हल्दी, सोंठ तीनो को बराबर मात्रा में पाउडर  कर रख ले। 1-1 चम्मच सुबह शाम कुनकुने पानी या कुनकुने दूध से लेने पर जोड़ो का दर्द ,वात व्याधि और सूजन में आराम मिलता है। 3 इलायची:-  मुंह में छाले होने पर इलायची पीस कर शहद के साथ छालो पर लगाना फायदेमंद होता है।           4 काली मीर्च:- अत्यधिक खाँसी की स्थिति में 1-2 काली मीर्च मुह में रख कर चूसने पर तुरन्त आराम मिलता है।                    

गैस और कब्ज का समाधान

 आज हर कोई पेट की समस्या से पीड़ित है । हर बीमारी का कारण पेट से जुड़ा है । पेट अग्नि केंद्र है। जो भोजन का पाचन करता है । मस्तिष्क संचालक है, जो पुरे शरीर को सुचारू रूप से संवेदना आदान प्रदान का निर्वाह करता है । आज की भाग दौड वाली जिंदगी में अनियमित खानपान व दिनचर्या का अनिश्चित पेट की समस्या को उत्पन करता है,जो आज आम हो गया । पेट में गैस , कब्जियत  और मुह के छाले ये सभी एक दूसरे से जुडी हुई समस्या है। कई बार ये इतनी गंभीर होती हे कि जान जोखिम में आ जाती है। आयुर्वेदिक चिकित्सा एवम् कुछ नियम - भोजन समय तय करे सुबह शाम का। - भोजन एक ही तरह का लगातार न ले । -  खाने से पहले अदरक का टुकड़ा,सेंधा नमक को चबा कर खाये फिर भोजन शुरू करे । -भोजन को चबा चबा कर खाये ताकि लार पूरी तरह से भोजन में मिल जाये । - लवणभास्कर चूर्ण  आधा चम्मच भोजन के 30 मि.पहले ले । या - हिंगांवष्टक चूर्ण  1 चम्मच भोजन के बाद ले । - भोजन में सलाद और हरी सब्जिया ले। चाय ,मिर्च ,मसाले,भारी भोजन को उपयोग में न ले। - भोजन के बाद वज्रासन में बैठे । - भोजन करने के 2 घंटे बाद बिस्तर पर लेटे। - दिनचर्या में सुबह की शेर

बार बार गैस बनती हैं ?

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आज हर कोई पेट की समस्या से पीड़ित है । हर बीमारी का कारण पेट से जुड़ा है । पेट अग्नि केंद्र है। जो भोजन का पाचन करता है । मस्तिष्क संचालक है, जो पुरे शरीर को सुचारू रूप से संवेदना आदान प्रदान का निर्वाह करता है । आज की भाग दौड वाली जिंदगी में अनियमित खानपान व दिनचर्या का अनिश्चित पेट की समस्या को उत्पन करता है,जो आज आम हो गया । पेट में गैस , कब्जियत  और मुह के छाले ये सभी एक दूसरे से जुडी हुई समस्या है। कई बार ये इतनी गंभीर होती हे कि जान जोखिम में आ जाती है। आयुर्वेदिक चिकित्सा एवम् कुछ नियम - भोजन समय तय करे सुबह शाम का। - भोजन एक ही तरह का लगातार न ले । -  खाने से पहले अदरक का टुकड़ा,सेंधा नमक को चबा कर      खाये फिर भोजन शुरू करे । - भोजन को चबा चबा कर खाये ताकि लार पूरी तरह से           भोजन में मिल जाये । - लवणभास्कर चूर्ण आधा चम्मच भोजन के 30 मि.पहले ले ।     ( हाइपरटेंशन रोगी इसे न ले ।) - हिंगांवष्टक चूर्ण  1 चम्मच भोजन के बाद ले । - भोजन में सलाद और हरी सब्जिया ले।  - चाय ,मिर्च ,मसाले,भारी भोजन को उपयोग में न ले। - भोजन के बाद वज्रासन में बैठे । - भोजन

Hair loss /Hair fall (बालो का झड़ना)

ज्यादा alcohol, meat ,tea, coffee, excessive smoking, oily, spicy, and acidic food से पित्त दोष की वृद्दि होती है । जिससे असमय बालो का सफेद होना , दोमुहे होना और झड़ना लगातार बढ़ता जाता है। चिकित्सा :- 1 गंधक रसायन 3 ग्राम पाउडर    मिश्री पाउडर  3 ग्राम  दोनों को मिला कर   100 पुड़िया (पाउच) बनाना है सुबह शाम एक    एक पाउच पानी से 3 माह तक । 2 Aloe vera (ग्वारपाठा,घृतकुमारी) 1/2     चम्मच जूस दिन में दो बार । 3 गाजर (carrot) जूस दिन में एक बार । 3 विटामिन बी व सी का प्रयोग करे । 4 बालो में भृगराज तेल लगाये।

Vitiligo and leucoderma (सफेद दाग)

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श्वित्र को आधुनिक भाषा में विटिलिगो  कहते है । श्वित्र त्वचा के वर्णक (melanin pigment) के स्थानीय आभाव के कारण होता है । मूल कारण अज्ञात है परन्तु आघात, घाव के बाद या त्वचा में फफोले (जलने पर) पड़ जान के बाद जो स्थानीय त्वचा सफेद रंग की हो जाती है  उसे लुकोडर्मा ( सफेद धाग ) कहते है । यह कुछ समय के बाद ठीक हो जाता है , यदि अन्दर की धातु में विकृति न हुई हो। चिकित्सा:- 1.स्वयंभू गुग्गूल         2-2 गोली सुबह शाम 2. चोपचिन्यादि चूर्ण   3 ग्राम (आधा चम्मच)                                सुबह शाम भोजन के पूर्व। 3 आरोग्यवर्धनी         3 गोली (300 mg)रात में । 4. सोमराजि तेल दाग पर लगाने के लिए ।

Hypertension(ब्लडप्रेशर) Diet plan

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ब्लडप्रेशर में आयुर्वेद आहार एवम् नियम 1.ज्यादा मात्रा में भोजन न ले, साथ ही गुरु    (भारी) भोजन से भी परहेज करे । 2  फलों और सब्जियों का सेवन ज्यादा करना     चाहिए। 3. भोजन में सोडियम की मात्रा कम होनी      चाहिए। (नमक का सेवन कम करे) 4.बाहरी उत्पादों, चीनी, रिफाइन्ड खाद्य    पदार्थों, तली-भुनी चीजों और जंक     फूड से परहेज रखना चाहिए। 5.गेहूं का आटा, ज्वार, मूंग साबुत ,बाजरा तथा   अंकुरित दालों का सेवन करे । 6. सब्जियों में लौकी, नींबू, तोरई, पुदीना, परवल,    सहिजना, कद्दू, टिण्डा, करेला आदि का सेवन      करना चाहिए। 7. मौसमी, अंगूर, अनार, पपीता, सेब,     संतरा, अमरूद, अन्नानास आदि फल ले सकते हैं। 8. बिना मलाई का दूध, छाछ ,गाय का घी,गुड़,       चीनी, शहद आदि सेवनीय है।

Sciatica ( सियाटिका)

Sciatica is lower back and leg pain. एड़ी तथा प्रत्येक पेरो की उंगलिओ की कण्डराये वात दोष से प्रकुपित होती है तथा टांगो के फैलाओ को रोक देती है इस रोग को गृधसि ( सियाटिका ) कहते है। सियाटिका नाडी नितम्ब से पैर तक जाती है तथा उसमे वातरक्त , मधुमेह , पसीने में ठंडी हवा लगाना, चोट, मोच, आदि कारण से पीड़ा नितम्ब से नीचे पैरो तक जाती है। चिकित्सा :- 1. वात गजांकुश रस -1 गोली     पीपली चूर्ण         -100मिली ग्राम (चुटकी भर)     मंजिष्ठा क्वाथ     - 20 मि.ली.+ 20 मि.ली.                                       कुनकुने पानी के साथ। 2. महावात विधंसक रस -  65 मि.ली.     आम का मुरब्बा        - 2.5 ग्राम     भंगारे का रस           - 10 मि.ली.                                      दिन मे दो  बार।     3. निर्गुण्डी तेल से मालिश           

Rains (वर्षा ऋतु)

आदान काल (late winter,spring,summer ) के प्रभाव से शरीर दुर्बल एवम् जठराग्नि  (पेट का पाचन तंत्र) मंद होती है तथा पुनः वृष्टि हो जाने से भूमि से वाष्प निकलने से पिये गये जल का अम्लविपाक होने से तथा दूषित वातादि दोष के प्रभाव से जठराग्नि और मंद हो जाती है । इस ऋतू में सेवन :- जिस दिन वर्षा हो रही हो, वायु बह रही हो उस दिन सूखा -रुक्ष वात नाशक युक्त भोजन ले । वर्षा ऋतू में सुखा, हल्का, स्निग्ध, उष्ण, अम्ल,लवण रस युक्ता भोजन करे । प्राय सभी अन्न पान को मधु (शहद) मिश्रित से करना चाहिए। निषेध :- नदियो का जल, मंथ(सत्तू), दिन में सोना, अतिद्रव पदार्थ , अधिक मैथुन, पैदल चलना व व्यायाम अत्यधिक न करे।

Dermatitis त्वचा रोग ।

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Dermatitis is inflammation of the skin. The type of dermatitis depending  on areas of skin may become red  and itchy. scales or blisters that ooze fluid. Treatment:- 1 गिलोय सत् या अमृता सत्                              225 mg  with honey 2 पंचतिक्त घृत                     1/2-1/2चम्मच कुनकुने पानी से  3 निम्बादि क्वाथ             3 चम्मच और 3 चम्मच कुनकुने पानी से 4 गंधक रसायन                          2 ग्राम और 2 ग्राम मिश्री   पाउडर 40 पुड़िया बना कर 1-1सुबह शाम    दूध से 5 मरिच्यादि तेल                      लगाने के लिए दिन में एक बार

शीघ्र पतन (Premature Ejaculation)

Premature Ejaculation (शीघ्र पतन) Premature Ejaculation is a Sexual dysfunction aged below 40 years. Treatment :-                     1 Virya Stabhan vati -         वीर्य स्तंभन वटी।              1-3 tablets with honey then after drink  milk ad. with sugar. 2 Shatsakar churna  -          षटसकार चूर्ण।      5gram at night only 8 days. 3 Virya Shodhan vati  -       वीर्य शोधन वटी       2 tablet  three time in day. 4 Shilajit Sat -    शिलाजीत सत्      1 drop with milk.

थायरॉइड ग्रंथि (hyperthyroidism)

थाइरॉइड ग्रन्थि गर्दन में होती है। यह श्वास प्रणली (trachea)or स्वर यन्त्र के पास लगी रहती है। गहरे लाल रंग की 25 ग्राम भार वाली ग्रंथि है। यह निम्न हॉर्मोन स्त्राव करती हे ट्राईडोथीरोनिन (T3) or थीरोक्सिन (T4), थीरोकैल्किटोनिन etc. T3 व T4 दोनों के कार्य का परिणाम एक जैसा है 1 रक्त में ग्लुकोज की मात्रा को बढ़ाता है। 2 आंतो में ग्लुकोज अवशोषण को उत्तेजित करता है। 3 प्रोटीन व वसा से ग्लुकोज के निर्माण में सहायक । 4 शरीर की सामान्य वृद्दि , कंकाल (skeleton) की वृद्दि, sexual maturation,मानसिक विकास को प्रभावित करते है। Hyperthyroidism थायराइड की एक overproduction T3 और टी -4 हार्मोन का। थायरॉयड गण्डमाला(goiter) के रूप में लक्षण, आँखें (exopthalmos) फैला हुआ, धड़कन, अतिरिक्त पसीना, दस्त, वजन घटाने, मांसपेशियों में कमजोरी और गर्मी के लिए असामान्य संवेदनशीलता। भूख अक्सर बढ़ जाती है। thyroid चिकित्सा- 1आरोग्यवर्दनि वटी 2 कांचनार गुग्गुल दोनों 1-1गोली दिन में तीन बार कुनकुने पानी से। 3 गिलोय घन वटी 2-2 गोली   सुबह शाम   4 सर्वकल्प क्वाथ 200ग्राम    मुलेठी क्वाथ    100ग्राम    

Premature Ejaculation (sighrapatana)

Premature Ejaculation is a Sexual dysfunction aged below 40 years. Treatment :-                      1 Virya Stabhan vati -    1-3 tablets with honey then after drink  milk ad. with sugar.  2 Shatsakar churna  -      5gram at night only 8 days. 3 Virya Shodhan vati  -   2 tablet  three time in day. 4 Shilajit Sat -                  1 drop with milk.

Rheumatoid Disease (आमवात)

आमवात संधिशोथ (joints pain) व शूल(pain) युक्त व्याधि है। कारण- विरुद्ध आहार विहार, मन्द्वग्नि, निश्चेस्ट पड़े रहना (lack of exercise),स्निग्ध आहार ले कर व्यायाम। सामान्य लक्षण - शरीर की छोटी या बड़ी सभी संधि(joint)में तीव्र वेदना , सूजन (शोथ), कर्मनाश (loss of function),कभी कभी ज्वर (फीवर), पीडा (pain),दाह(जलन),उत्सेध(सूजन) । चिकित्सा- 1आमवातारि रस 2-2 . सु. शा. 2 संजीवनी वटी 2-2-2 सु. दो. शा. 3 दशमूलारिष्ट 20 ml+20 पानी भोजन के बाद 4अश्वगंध चूर्ण 5ग्राम  सु.शा.। अपथ्य- दूध,दही,मछली,उडद, दूषित पानी ,मल मूत्र आदि वेग रोकना,रात्रि जागरण,गुरु(भारी भोजन),शोक,आलस्य,चिंता।

एकाग्रता और याददाश्त में कमी का उपाय । (Omega-3)

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Benefits of Omega-3 Fatty Acids Omega 3 के कार्य-  1 शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है ।        2 ह्रदय और रक्त वहिंकाओ को सुरक्षित रखता है। 3 मस्तिष्क के लिए अत्यंत आवश्यक तत्व है । 4 शरीर की अनावश्यक वसा को निकल ह्रदय को स्वस्थ            रखता है। 5 गठिया के दर्द को कम करता है। 6 यह सेक्स हॉर्मोन को बनाने में सहायक होता है। कमी से होने वाले रोग -  सूखी चमड़ी, एकाग्रता और याददास्त में कमी ,उच्च रक्तचाप , एग्जिमा, सोरिएसिस। (Dry skinned, concentration and memory loss, high blood pressure, eczema, PSorisis.) प्राप्ति स्त्रोत- (Source)  कद्दू के बीज,सन् बीज , सूर्य मुखी के बीज। (Pumpkin seeds, flax seeds, sunflower seeds.)

Ras manikya (रस माणिक्य)

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