थोड़ी थोड़ी मात्रा में बार बार रुक रुक कर मूत्र आता है ? { Urine incontinence,मुत्रातीत }

मुत्रातीत 
जो व्यक्ति मूत्र के उत्पन्न हुए वेग को रोककर थोड़े समय बाद फिर से मूत्र त्याग करना चाहता है तब मूत्र प्रवाहित नहीं होता है और यदि वह जोर लगा कर मूत्र त्यागना चाहता है तो किसी प्रकार प्रवर्तित होता है, किन्तु इस प्रकार बार बार प्रवाहण करने से मंद वेदना सहित तथा थोड़ी थोड़ी मात्रा में बार बार रुक रुक कर मूत्र आता है। 
च.सि.अ. अनुसार अधिक समय तक मूत्र को रोकने से मूत्रत्याग करने पर मूत्र जल्दी नहीं आता । यदि आता भी तो बहुत धीरे धीरे। इस अवस्था को मुत्रातीत कहते है। 
आधुनिक दृष्टि से इस रोग को अपूर्ण मूत्रावरोध { Partial retention of urine or Incontinence of urine} कहते है। 
चिकित्सा :-
१ सामान्य वातहर एवम वातानुलोमन क्रिया। 
२ मूत्रावरोध होने पर आवश्यकतानुसार उत्तरबस्ती, शल्यकर्म एवं शल्यहारण।
३ आहार में जल,लवण, प्रोटीन की मात्रा का नियंत्रण।
४ चंद्रप्रभावटी ४ वटी  प्रायःसाय। 
५ पुनर्वामण्डुर   ४० ग्राम 
    प्रवालपिष्टी     ८  ग्राम    
    अभ्रक भस्म    ८ ग्राम      मिला कर ४० पुड़िया बनाकर १-१  प्रातःसाय मधु से 
६ चन्दनबलालाक्षादि  तैल  से मालिश करे.

Comments

Popular posts from this blog

खाने में जीरा क्यो जरूरी ?

अगले 2 वर्षों के भीतर डेंगू का इलाज शुरू करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा: आयुष मंत्रालय

धेर्य पूर्वक मस्से खत्म करे !