रसोनादि अर्क

रसोनादि अर्क 
 द्रव्य - 
लहसुन की साफ कली           ६ तोला (72 ग्राम)
तुलसी के हरे पत्ते                   २ तोला (24 ग्राम)
जावित्री का अधकचरा चूर्ण     ६ तोला (72 ग्राम)
परिशोधित सुरासर                 ६० औंस (168 मिली)
  
विधि - इन सबको मिलाकर  बोतल के मुँह पर डाट लगा लें। बोतल का मुँह बंद करें और ४८ घंटे तक भिगोकर बाद में फ़िल्टर पेपर से छान लें। 

मात्रा - ५ से १० बूंद १-१ औंस जल (२८ मिली.) के साथ दिन में ३ बार लेवें। 

उपयोग - यह रसोनादि अर्क उष्णवीर्य, उत्तम जन्तुघ्न, दीपन, पाचन, और वातहर औषध है। 
वर्तमान समय में मोतीझरा, रक्तपित्त, रक्तभार बढ़ना (हाईब्लडप्रैशर), संग्रहणी, अग्निमांद्य, अजीर्ण, कर्णशूल, नाड़ीव्रण आदि  रोगो में उपयोगी है। 
    
लहसुन में रक्तभार कम करने का गुण है।  इसलिए रसोनादि अर्क बढ़े हुए रक्तभार के रोगियों को देते है इससे चक्कर आना कम हो जातेहै। शांत निद्रा आती है। 

Comments

Popular posts from this blog

खाने में जीरा क्यो जरूरी ?

अगले 2 वर्षों के भीतर डेंगू का इलाज शुरू करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा: आयुष मंत्रालय

धेर्य पूर्वक मस्से खत्म करे !