पक्षाघात और लकवा

आयुर्वेद में 80 प्रकार के वात रोग बतलाये गए है ।
कारण :-  रुक्ष, कटु, कसैले, तिक्त(कडवा) तथा शीतल पदार्थो का सेवन, कम खाने, अत्यधिक मैथुन, अधिक जागरण, मल मूत्र वेग को रोकना, चिंता, शोक-दुख, अधिक परिश्रम, व्रत उपवास अत्यधिक, अधिक सर्दी, द्रुतगामी वाहन की सवारी, रस रक्त आदि धातु का क्षय आदि कारण से वात प्रकोप होता है ।

चिकित्सा :-
1- दशमूलारिष्ट काढ़ा - 20 ml +20 ml
      कुनकुना पानी

2 - अश्वगंधा चूर्ण     5 ग्राम रात्रि में

3 - वातचिंतामणि रस -5 ग्राम
      प्रवाल पिष्टी        -5 ग्राम दोनों को मिक्स
          कर 30 पुड़िया बनाना 1-1 सुबह शाम पानी से

4 - वात गजांकुश रस 1-1दिन में 2 बार पीपल
      के चूर्ण साथ ऊपर से हरड़ का काढ़ा पीवे ।

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