बार बार गैस बनती हैं ?


आज हर कोई पेट की समस्या से पीड़ित है । हर बीमारी का कारण पेट से जुड़ा है । पेट अग्नि केंद्र है। जो भोजन का पाचन करता है । मस्तिष्क संचालक है, जो पुरे शरीर को सुचारू रूप से संवेदना आदान प्रदान का निर्वाह करता है ।
आज की भाग दौड वाली जिंदगी में अनियमित खानपान व दिनचर्या का अनिश्चित पेट की समस्या को उत्पन करता है,जो आज आम हो गया । पेट में गैस , कब्जियत  और मुह के छाले ये सभी एक दूसरे से जुडी हुई समस्या है। कई बार ये इतनी गंभीर होती हे कि जान जोखिम में आ जाती है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा एवम् कुछ नियम
- भोजन समय तय करे सुबह शाम का।
- भोजन एक ही तरह का लगातार न ले ।
-  खाने से पहले अदरक का टुकड़ा,सेंधा नमक को चबा कर      खाये फिर भोजन शुरू करे ।
- भोजन को चबा चबा कर खाये ताकि लार पूरी तरह से           भोजन में मिल जाये ।
- लवणभास्कर चूर्ण आधा चम्मच भोजन के 30 मि.पहले ले ।     ( हाइपरटेंशन रोगी इसे न ले ।)
- हिंगांवष्टक चूर्ण  1 चम्मच भोजन के बाद ले ।
- भोजन में सलाद और हरी सब्जिया ले। 
- चाय ,मिर्च ,मसाले,भारी भोजन को उपयोग में न ले।
- भोजन के बाद वज्रासन में बैठे ।
- भोजन करने के 2 घंटे बाद बिस्तर पर लेटे।
- दिनचर्या में सुबह की शेर शामिल करे ।

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