अपने लिवर ( LIVER ) का रखे ख्याल।

In over body the liver is an essential that has many function in the body, making proteins and blood clotting factors.
Liver manufacturing cholesterol and triglycerides, glycogen synthesis and bile production.
लिवर हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। लिवर कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लाइकोजन के रूप में जमा करके रखता है, और जरूरत होने पर तुरन्त ही इसे ग्लूकोज के रूप में स्त्रावित कर देता है।
लिवर नुकसानदायक पदार्थो को निष्क्रिय कर देता है और प्रोटीन पैदा करता है जो हमें संक्रमण और रक्तस्त्राव से बचाता है।
कारण :- उड़द, कुल्थी, सरसो का साग आदि विदाही तथा भैंस के दूध का दही आदि अभिष्यन्दी पदार्थ के सेवन से रक्त और कफ दूषित होकर लिवर ( जिगर ) को वृद्धि करते है। मीठे, चिकने पदार्थ का अधिक सेवन, दूषित स्थान में रहना, अधिक भोजन के बाद तेज सवारी तथा अधिक परिश्रम, अधिक व्यायाम आदि लिवर रोग के कारण होते है।
लक्षण :- यकृत की वृद्धि होने अथवा सिकुड़ जाने पर उसमें दर्द होने लगता है, मल रुक जाता है अथवा थोड़ी मात्रा में कीचड़ जैसा निकालता है।
पुरे शरीर या मुख्यतः आँखों का रंग पीला हो जाता है। जी मचलाना, मुँह का स्वाद में तिक्तता, वमन, नाड़ी का कठिन चलना, हर समय ज्वर ( फीवर ) का बना रहना।
चिकित्सा :- 
                 नागरमोथा १ भाग, आँवला १ भाग, अदरक १ भाग, हरड़ ३ भाग तथा सोंठ ४ भाग इन सबको मिलाकर कूट-पीस छान लें। इस चूर्ण के सेवन से प्लीहा और यकृत ( लिवर ) सहित ज्वर, अजीर्ण तथा अतिसार ठीक हो जाता है।  

शास्त्रीय योग जो प्रयोग किये जा सकते है, आरोग्यवर्द्धनि, नवायस चूर्ण, क्रव्याद रस, आदि। 

पथ्य (जो उपयोगी हे ) :- 
                                      खजूर, फालसे, छोटी मूली, सहजन, दाख, बकरी का दूध, लाल चावल, एक वर्ष पुराने चावल, गाय का दूध, हरड़, हींग, गोमूत्र, परवल, केले, सेंधा नमक। 

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