सरसों का चिकित्सीय प्रयोग । ( Yellow sarson)

सरसों 
ब्रास्सीका कांपेस्ट्रिस लिनिअस वेरा. सरसोंन प्रेंन
( Brassica campestris Linn. var. sarson prain )
सर्दियों में तिलहन की फसल के रूप में बड़े पैमाने पर सरसो की खेती की जाती है।
संस्कृत में - सर्षप , अंग्रेजी में - Yellow sarson.
गुण :- सरसों  के मुलायम ताजा पत्तों का साग चरपरा, मूत्र तथा मल को निकलनेवाला, भारी , पाक में खट्टा, जलन पैदा करनेवाला, गरम, तेज होता है।  सरसों के बीज बड़े गुणकारी है। ये पाचक, चरपरे, स्निग्ध तथा स्वाद उत्तेजक होते है। सरसों का तेल ठंडा, गरम, दर्दनाशक, विषाणुनाशक तथा कृमियों को नष्ट करनेवाला है।
उपयोग :- 
1 कोमल पत्तो की सब्जी तथा भजिया बनाई जाती है।
2 पंजाब में सरसो का साग और मक्का की रोटी जगत प्रसिद्ध है।
3 सरसो के दाने पीसकर अचार आदि में डाले जाते है।
4 सरसों का तेल सब्जी आदि छोंकने के साथ साथ प्रकाश के लिये दीपको में जलाया जाता है।
5 तेल निकालने के बाद बची खली पशुओं का पोस्टिक आहार है ।
औषधीय उपयोग :-
आयुर्वेदिक चिकित्सा में सरसों के समस्त भाग एवं इसके तेल का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है ।
1 शारीरिक स्फूर्ति - सरसो के तेल की मालिश नियमित करने से शरीर में शक्ति का संचार होता है।
2 कान दर्द - दिन या रात किसी भी समय कान में दर्द होने लगता है तब इसके लिये लहसुन की तीन चार कालिया सरसों के तेल में खोलाकर उस तेल को ठंडा करके दो दो  बूंद कान में डाले ।
3 बालों के लिये - बालो को काले, स्वस्थ, चमकीले तथा सूंदर बनाना चाहते हैं तो रोजाना स्नान के बाद सरसो के तेल से सिर की हल्के हाथों से मालिश करे।
4 जोड़ों के दर्द - जोड़ो के दर्द में सरसों का तेल गरम करके मालिश किया करें । सर्दियों में यह मालिश धुप में बैठकर करें।
5 त्वचा रोगों में - त्वचा संबंधी विकार तथा रंग निखारने के लिये सरसों के तेल में पिसी हल्दी, कपूर, बेसन तथा दही मिलाकर उबटन करे। बाद में गुनगुने पानी में नींबू के रस की दो- चार बुँदे डालकर त्वचा साफ करें।
       























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